Amla Ekadashi: आंवला एकादशी व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, देखें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
- By Habib --
- Thursday, 02 Mar, 2023
Amla Ekadashi
Amla Ekadashi फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी, आंवला एकादशी जैसे नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ आंवले के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन स्नान वाले पानी में आंवला डालकर नहाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस साल आमलकी एकादशी पर काफी खास योग भी बन रहे हैं। ऐसे में भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर तरह के संकटों से छुटकारा मिल जाता है।
शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 39 मिनट से शुरू
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 3 मार्च को सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक
पूजा का शुभ समय- सुबह 06 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 06 मिनट तक
शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 45 मिनट से दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक
सौभाग्य योग- सुबह से लेकर शाम 6 बजकर 45 मिनट तक
शोभन योग- शाम 6 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा।
पारण का समय
आमलकी एकादशी व्रत का पारण 4 मार्च को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक कर सकते हैं।
पूजा विधि
आमलकी एकादशी पर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की विधिवत पूजा कर लें। इसके लिए भगवान विष्णु को पीला फूल, माला, पीला चंदन, भोग लगाने के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। इसके साथ ही घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, चालीसा आदि का पाठ करते अंत में विधिवत आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। दिनभर व्रत रखने के बाद दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में पारण कर दें।
करें आंवले के पेड़ की पूजा
आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे ठीक ढंग से सफाई कर लें। इसके बाद चाहे तो मिट्टी, गेरू या फिर गोबर से लिप लें। इसके बाद पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाएं और उसमें एक पानी भरा हुआ कलश स्थापित कर दें। कलश के कंठ में श्रीखंड चंदन का लेप लगाएं।
कलश में सभी देवी-देवताओं, तीर्थों और सागर को आमंत्रित करें। इसके बाद कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके बाद इसमें मिट्टी का ढक्कन रख दें और उसके ऊपर एक दीपक का दीपक रख दें। इसके बाद कलश को वस्त्र पहना दें। इसके साथ ही विधिवत पूजा करें। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को विधिवत भोजन कराने के बाद दक्षिणा, वस्त्र आदि देने के साथ कलश भी दे दें। इसके बाद ही आप अपने व्रत का पारण करें।
आमलकी एकादशी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार इस सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। उनको स्वयं के बारे में जानने की चाह हुई। वे जानना चाहते थे कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की तपस्या प्रारंभ कर दी। काफी समय बाद उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनको दर्शन दिया।
उनके दर्शन पाकर ब्रह्मा जी भावुक हो गए और आंखों से आंसू बह निकले। उनके आंसुओं से ही आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ। तब उनकी तपस्या से प्रसन्न भगवान विष्णु ने कहा कि आपके आंसू से आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ है, इस वजह से यह पेड़ और इसका फल उनको बहुत प्रिय होगा। आज से जो कोई भी आमलकी एकादशी व्रत करेगा और आंवले के पेड़ के नीचे विधि विधान से मेरी पूजा करेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा और उसके सभी पाप कर्म खत्म हो जाएंगे। इस व्रत के साथ इस कथा का श्रवण करने से आमलकी एकादशी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
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